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Tai by Vishwambhar Nath Sharma Kaushik Short Story in HINDI?

ताई

विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक

ताई के मन मे एक बात बैठ गई। वह रात-दिन बस यही सोचती रहती कि जब तक वह गोधन के लिए घर नहीं बनाएंगी, तब तक चैन से नहीं बैठेगी।

ताई का घर गाँव के एक छोर पर था और गोधन का घर दूसरे छोर पर। बीच मे एक नाला बहता था। बरसात के दिनों मे पानी इतना बढ़ जाता था कि नदी बन जाती थी। ऐसे मे ताई को बहुत परेशानी होती। उसे गोधन के लिए एक बड़ा सा घर बनाना ही था।

ताई ने अपने सभी बच्चों को बुलाया और कहा, "बेटा, मेने तय किया है कि गोधन के लिए एक घर बनाऊंगी। तुम लोग मेरी मदद करना।"

बेटों ने कहा, "ताई, हम तुम्हारी मदद अवश्य करेंगे।"

ताई ने घर बनाने के लिए सामग्री इकट्ठा करना शुरू कर दिया। उसने ईंट, सीमेंट, बालू और लकड़ी इकट्ठा की।

तभी एक दिन ताई के बेटे बाहर से आए और बोले, "ताई, हमने तुम्हारे लिए गोधन का घर बनवा दिया है।"

ताई बहुत खुश हुई। वह गोधन के घर मे गई और उसे देखा। घर बहुत अच्छा बना था। ताई ने अपने बेटों को गले लगा लिया और कहा, "बेटा, तुम लोगों ने बहुत अच्छा काम किया है।"

ताई गोधन के घर मे रहने लगी। उसे बहुत अच्छा लगा। अब उसे गोधन के लिए परेशान नहीं होना पड़ता था।

एक दिन ताई के बेटे फिर से घर आए और बोले, "ताई, हमने तुम्हारे लिए एक और घर बनाया है।"

ताई हैरान रह गई। उसने कहा, "बेटा, तुमने मेरे लिए एक और घर क्यों बनाया?"

बेटों ने कहा, "ताई, हम चाहते हैं कि तुम हमारे साथ रहो।"

ताई बहुत खुश हुई। वह अपने बेटों के साथ उनके घर मे रहने लगी। उसे बहुत अच्छा लगा। अब वह अपने बेटों के साथ खुशी-खुशी रहती थी।

ताई की कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें अपने बच्चों का सम्मान करना चाहिए और उनके साथ प्यार से रहना चाहिए।

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